दही हांडी उत्सव 2024: आज 27 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा दही हांडी उत्सव।

DALL·E 2024 08 27 09.07.02 A highly detailed and realistic image capturing the lively atmosphere of the Dahi Handi festival. The scene features young Lord Krishna as a mischievo

यह पर्व जन्माष्टमी के अगले दिन, यानी 27 अगस्त 2024 को आयोजित किया जाता है। इस दिन, मंदिरों को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है। यह त्योहार खासतौर पर उन स्थानों पर मनाया जाता है जहां भगवान कृष्ण ने अपना बचपन बिताया, जैसे वृंदावन, मथुरा और गोकुल।

दही हांडी का महत्व क्या है?
दही हांडी, जन्माष्टमी उत्सव का एक प्रमुख हिस्सा है। जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को मनाया गया था, और इसके अगले दिन, 27 अगस्त को दही हांडी उत्सव मनाया जाता है। इस रस्म में एक मिट्टी की हांडी को ऊंचाई पर लटकाया जाता है, जिसमें घी, मिठाई, बादाम, दही और मक्खन भरा होता है। लोग इस हांडी को पकड़ने और तोड़ने की कोशिश करते हैं, जो भगवान कृष्ण की शरारतों और चंचल स्वभाव का प्रतीक है।

दही हांडी से जुड़ी मान्यता क्या है?
मान्यता के अनुसार, भगवान कृष्ण को मक्खन बहुत पसंद था, और वे अक्सर इसे घर में रखे बर्तनों से चुरा लेते थे। इसी वजह से उन्हें “माखन चोर” कहा जाता था। उनकी मां यशोदा ने कृष्ण की इस आदत से तंग आकर मक्खन के बर्तन को ऊंचाई पर लटकाने का फैसला किया। इसके बाद, कृष्ण और उनके दोस्त मानव पिरामिड बनाकर मक्खन तक पहुंचते और उसका आनंद लेते थे।

दही हांडी उत्सव कैसे मनाया जाता है?
दही हांडी उत्सव में युवा लोग बहुत उत्साह के साथ भाग लेते हैं। यह खेल भगवान कृष्ण के बचपन की शरारतों को दर्शाता है, जहां वे मक्खन से भरी मटकी को तोड़ते थे। दही और मक्खन से भरी एक मिट्टी की हांडी को बहुत ऊंचाई पर लटकाया जाता है। लोग मानव पिरामिड बनाकर इसे तोड़ने की कोशिश करते हैं। इस पिरामिड बनाने वाली टोली को “गोविंदा” कहा जाता है, और जो समूह इस हांडी को तोड़ता है, उसे पुरस्कृत किया जाता है।

दही हांडी का आयोजन भगवान कृष्ण के माखन चुराने की शरारतों को दर्शाने के लिए किया जाता है। इस दिन लोग एक मटकी को ऊंचाई पर बांधते हैं, जिसमें दही या माखन भरा होता है। लोग मानव पिरामिड बनाकर इस मटकी को फोड़ने की कोशिश करते हैं। यह भगवान कृष्ण की बचपन की शरारतों की याद दिलाता है जब वे अपने दोस्तों के साथ माखन चुराते थे।

इतिहास: हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, बालकृष्ण को दही और माखन बहुत पसंद था। वे और उनके दोस्त पड़ोस के घरों से माखन चुराते थे। जब गाँववालों ने यशोदा मैया से शिकायत की, तो उन्होंने मटकी को ऊंचाई पर बांधने का सुझाव दिया ताकि कृष्ण उसे न तोड़ सकें। लेकिन कृष्ण और उनके दोस्तों ने मानव पिरामिड बनाकर इन मटकियों को फोड़ने का उपाय निकाल लिया, जिससे उनका नाम “माखन चोर” पड़ा। इस तरह, दही हांडी के दिन लोग जीवंत पंडाल सजाते हैं, मानव पिरामिड बनाते हैं, और मटकी फोड़कर कृष्ण की मस्ती और शरारतों को याद करते हैं।

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