प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 2024: एक विस्तृत विवरण

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, जिसे 17 सितंबर 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया, एक केंद्रीय क्षेत्र योजना है जो विशेष रूप से कारीगरों और शिल्पकारों के लिए डिज़ाइन की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य उन कारीगरों और शिल्पकारों को समर्थन और सहायता प्रदान करना है जो अपने हाथों और औजारों से विभिन्न प्रकार के पारंपरिक काम करते हैं। इस योजना के तहत, विश्वकर्मा समुदाय की 140 से अधिक जातियों को लाभ मिलेगा।

इस योजना में शामिल व्यवसाय:

इस योजना में कुल 18 प्रकार के व्यवसाय शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. बढ़ई (सुथार/बधाई): लकड़ी के सामान और फर्नीचर बनाने वाले कारीगर।
  2. नाव निर्माता: लकड़ी और अन्य सामग्री से नाव बनाने वाले।
  3. कवच निर्माता: पारंपरिक कवच और सुरक्षा उपकरण बनाने वाले।
  4. लोहार (लोहार): लोहे के सामान, जैसे कि औजार और अन्य वस्तुएं, बनाने वाले।
  5. हथौड़ा और टूल किट निर्माता: औजार और टूल किट बनाने वाले।
  6. ताला बनाने वाला: ताले और चाबियाँ बनाने वाले।
  7. सुनार (सोनार): सोने और चांदी के गहने बनाने वाले।
  8. कुम्हार (कुम्हार): मिट्टी के बर्तन और अन्य वस्तुएं बनाने वाले।
  9. मूर्तिकार (मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाला): मूर्तियां और पत्थर की वस्तुएं बनाने वाले।
  10. पत्थर तोड़ने वाला: पत्थर को तोड़ने और आकार देने वाले।
  11. मोची (चर्मकार): जूते, चप्पल और अन्य चमड़े के सामान बनाने वाले।
  12. राजमिस्त्री: इमारतों में काम करने वाले कारीगर।
  13. टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर: बुनाई और हस्तशिल्प के सामान बनाने वाले।
  14. गुड़िया और खिलौने निर्माता (पारंपरिक): पारंपरिक खिलौने और गुड़िया बनाने वाले।
  15. नाई (नाई): हेयरकट और सैलून सेवाएँ देने वाले।
  16. माला निर्माता (मालाकार): फूलों और अन्य वस्तुओं से माला बनाने वाले।
  17. धोबी: कपड़े धोने और प्रेस करने वाले।
  18. दर्जी: कपड़े सिलने वाले कारीगर।
  19. मछली पकड़ने के जाल निर्माता: मछली पकड़ने के जाल और अन्य उपकरण बनाने वाले।

लाभ:

  1. मान्यता: इस योजना के तहत कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता दी जाएगी। इससे उनकी योग्यता और व्यवसायिक पहचान को मान्यता मिलेगी।
  2. कौशल उन्नयन: योजना के तहत 5-7 दिनों का बुनियादी प्रशिक्षण और 15 दिन या उससे अधिक का उन्नत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान लाभार्थियों को 500 रुपये प्रति दिन की छात्रवृत्ति मिलेगी। यह प्रशिक्षण उनके कौशल को बढ़ाने और उन्हें नए तकनीकों से अवगत कराने में मदद करेगा।
  3. टूलकिट प्रोत्साहन: बुनियादी कौशल प्रशिक्षण के प्रारंभ में 15,000 रुपये तक का टूलकिट प्रोत्साहन ई-वाउचर के रूप में प्रदान किया जाएगा। यह टूलकिट कारीगरों को उनके काम के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराएगा।
  4. ऋण सहायता: योजना के तहत 3 लाख रुपये तक का जमानत मुक्त ‘उद्यम विकास ऋण’ प्रदान किया जाएगा, जो दो किस्तों में 1 लाख रुपये और 2 लाख रुपये के रूप में उपलब्ध होगा। यह ऋण 18 महीने और 30 महीने की अवधि के साथ 5% की रियायती ब्याज दर पर मिलेगा। लाभार्थियों को बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद 1 लाख रुपये तक की ऋण सहायता की पहली किस्त मिलेगी। दूसरी किस्त उन लाभार्थियों को दी जाएगी जिन्होंने पहली किस्त का लाभ उठाया है और एक मानक ऋण खाता बनाए रखा है, साथ ही अपने व्यवसाय में डिजिटल लेनदेन को अपनाया है या उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
  5. डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन: प्रत्येक डिजिटल लेनदेन या रसीद के लिए लाभार्थी के खाते में प्रति डिजिटल लेनदेन 1 रुपये की राशि, अधिकतम 100 मासिक लेनदेन तक जमा की जाएगी। यह प्रोत्साहन डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए है।
  6. विपणन सहायता: कारीगरों और शिल्पकारों को विपणन सहायता के तहत गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग, GeM जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर शामिल करना, विज्ञापन, प्रचार और अन्य विपणन गतिविधियाँ प्रदान की जाएंगी। इसका उद्देश्य उनके उत्पादों की बाजार में बेहतर पहचान और पहुंच बढ़ाना है।

आवश्यकताएँ:

  • आवेदक के पास एक बैंक अकाउंट, परिचय पत्र, आधार कार्ड और निवास प्रमाण पत्र होना चाहिए।
  • आवेदक के परिवार के किसी भी सदस्य को सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए।
  • आवेदक की वार्षिक आय 2,50,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।

नामांकन और सत्यापन:

लाभार्थियों का नामांकन पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से किया जाएगा। नामांकन के बाद, तीन-चरणीय सत्यापन प्रक्रिया होगी, जिसमें ग्राम पंचायत/यूएलबी स्तर पर सत्यापन, जिला कार्यान्वयन समिति द्वारा जांच और सिफारिश, और स्क्रीनिंग समिति द्वारा अनुमोदन शामिल होगा।

उद्देश्य:

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विश्वकर्मा समुदाय की सभी जातियों को कामकाजी क्षेत्र में उचित प्रशिक्षण मिले और वे खुद का रोजगार शुरू करने के लिए कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकें। बहुत सारी जातियाँ सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाती हैं और उन्हें सही प्रशिक्षण नहीं मिलता है। यह योजना खासतौर पर उन लोगों के लिए है जिनके पास प्रशिक्षण के लिए पैसे की कमी है, लेकिन वे कुशल कारीगर हैं। इस योजना के माध्यम से, कारीगरों को न केवल आर्थिक सहायता मिलेगी बल्कि वे अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार कर सकेंगे और देश की प्रगति में योगदान दे सकेंगे।

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