बिहार भूमि सर्वे 2024: बिना वंशावली या लिखित बंटवारे के भी सुरक्षित करें अपनी जमीन!

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बिहार भूमि सर्वेक्षण 2024: नहीं बनी है वंशावली? मौखिक हुआ है बंटवारा? सर्वे में कैसे आएगी आपकी जमीन? जानिए समाधान

बिहार में भूमि विवादों को सुलझाने और असली जमीन मालिकों को उनका अधिकार दिलाने के उद्देश्य से 20 अगस्त से राज्यव्यापी भूमि सर्वेक्षण शुरू हो चुका है। नीतीश सरकार इस प्रक्रिया के माध्यम से भूमि विवादों को कम करना चाहती है। इस सर्वेक्षण के दौरान कई भूमि मालिकों के मन में सवाल उठ रहे हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास वंशावली नहीं है या जिनके पास मौखिक रूप से बंटवारा हुआ है। ऐसे में, अगर आपके पास जमीन से जुड़े पुख्ता कागजात नहीं हैं, तो भी चिंता की कोई बात नहीं है। इस लेख में हम इस प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे, ताकि आप अपनी जमीन का सही ढंग से सर्वे करवा सकें।

वंशावली नहीं है या मौखिक बंटवारा हुआ है?

अगर आपके पास वंशावली नहीं है या आपने मौखिक रूप से जमीन का बंटवारा किया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। भूमि सर्वेक्षण विभाग के एक अधिकारी ने बातचीत में स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में भी आपके पास अपनी जमीन का दावा पेश करने का तरीका है। सर्वेक्षण के लिए जो अधिकारी आएंगे, उन्हें आपको अपनी जमीन का प्रमाण देना होगा। अगर आपने जमीन का मौखिक बंटवारा किया है और आपके पास इसके लिए कोई लिखित प्रमाण नहीं है, तो आपको एक सादे कागज पर परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से बंटवारा का पेपर तैयार करना होगा। इस कागज पर बंटवारे की गई जमीन के प्लॉट नंबर, चौहद्दी और जितने लोगों में जमीन बांटी गई है, उनके नाम और हस्ताक्षर होंगे। इस दस्तावेज़ को सर्वेक्षण अधिकारी को सौंपना होगा। इस तरह, भले ही आपके पास पहले से लिखित वंशावली न हो, आप अपने जमीन का अधिकार साबित कर सकते हैं।

वंशावली बनवाना क्यों है जरूरी?

भूमि सर्वेक्षण में वंशावली प्रस्तुत करना अनिवार्य है। अगर आपके पास वंशावली नहीं है, तो चिंता न करें। आप स्वघोषणा पत्र में अपने खतियान के आधार पर वंशावली प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके लिए आप राजस्व विभाग की वेबसाइट से प्रपत्र 3(1) का फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं और इसे भरकर जमा कर सकते हैं। इस फॉर्म के माध्यम से आप अपनी वंशावली को साबित कर सकते हैं और अपनी जमीन के दावे को मजबूत कर सकते हैं।

क्या बेटियों का भी होगा जमीन पर अधिकार?

सर्वेक्षण के दौरान कई लोगों में यह भ्रम है कि जिन बेटियों की शादी हो चुकी है, क्या उन्हें भी जमीन पर अधिकार मिलेगा? क्या उनकी वंशावली में उनका नाम होना अनिवार्य होगा? इस बारे में अधिकारी का कहना है कि बेटियों का खानदानी जमीन पर अधिकार होता है, लेकिन अगर आप वंशावली में बेटियों का नाम नहीं जोड़ते हैं, तो सर्वेक्षण अधिकारी उस पर हस्तक्षेप नहीं करेंगे। हालांकि, अगर आपकी बहन या फुआ जमीन पर दावा करती हैं, तो उनका भी अधिकार बनता है। ऐसे में सर्वेक्षण अधिकारी को बेटियों का नाम वंशावली में शामिल करना होगा। हालांकि, वंशावली या स्वघोषणा पत्र में बेटियों का हस्ताक्षर अनिवार्य नहीं है।

बंदोबस्त पदाधिकारियों को दिए गए निर्देश

बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण को लेकर सभी बंदोबस्त पदाधिकारियों को उनके संबंधित क्षेत्रों में लगातार भ्रमण करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, उन्हें दूसरे चरण के सर्वेक्षण की तैयारियों को तेजी से पूरा करने और सभी सर्वेक्षण शिविरों को व्यक्तिगत रूप से देखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसका मुख्य उद्देश्य भूमि सर्वेक्षण से जुड़ी समस्याओं को दूर करना और इस प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाना है।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सर्वेक्षण शिविरों के स्थान, शिविर प्रभारी का नाम और मोबाइल नंबर को स्थानीय अखबारों में प्रकाशित करवाने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, उन्होंने ऐसे स्थानों पर सर्वेक्षण शिविर स्थापित करने पर जोर दिया है, जहां लोग आसानी से पहुंच सकें। इस पहल का उद्देश्य सर्वेक्षण की प्रक्रिया को जनता के लिए अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी बनाना है।

निष्कर्ष

बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण का उद्देश्य भूमि विवादों को कम करना और असली भूमि मालिकों को उनका हक दिलाना है। अगर आपके पास वंशावली नहीं है या जमीन का मौखिक बंटवारा हुआ है, तो भी आप अपने जमीन का दावा सही ढंग से पेश कर सकते हैं। वंशावली बनवाना अनिवार्य है, लेकिन अगर यह उपलब्ध नहीं है, तो आप स्वघोषणा पत्र के माध्यम से अपने अधिकारों को साबित कर सकते हैं। सर्वेक्षण में अपनी जमीन को सुरक्षित करने के लिए सही जानकारी और तैयारी के साथ आगे बढ़ें।

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