पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बड़ी राजनीतिक हलचल के बीच इस्तीफे की पेशकश की है, जो कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बाद उत्पन्न हुआ है। यह घटना 9 अगस्त 2023 को हुई थी, जब एक 31 वर्षीय डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में पाया गया था। इस घटना ने पूरे राज्य में आक्रोश पैदा कर दिया और जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी। उनका कहना था कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे।
घटना क पृष्ठभूमि
यह भयावह घटना कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में घटित हुई, जहां डॉक्टर का शव अस्पताल के एक कमरे में मिला। शव पर कई घाव और चोट के निशान थे, जिससे बलात्कार और हत्या का संदेह हुआ। इसके तुरंत बाद, पुलिस ने 31 वर्षीय एक नागरिक स्वयंसेवक, संजय रॉय, को गिरफ्तार किया, जिसे 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। इस घटना ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए और लोगों में आक्रोश फैल गया।
घटना की जांच बाद में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी गई। इस बीच, जूनियर डॉक्टरों और अन्य संगठनों ने सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने मामले में सबूतों से छेड़छाड़ की है और अधिकारियों ने सही तरीके से जांच नहीं की। इसका परिणाम यह हुआ कि बड़ी संख्या में डॉक्टर हड़ताल पर चले गए और जनता को स्वास्थ्य सेवाओं में रुकावट का सामना करना पड़ा।
जूनियर डॉक्टरों की मांगें
जूनियर डॉक्टरों ने इस घटना के बाद अपनी पांच मुख्य मांगें रखी हैं:
- बलात्कार और हत्या के मामले में त्वरित न्याय।
- उन सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई, जिन्होंने मामले की जांच में देरी की या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की।
- आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधान संदीप घोष के खिलाफ कार्रवाई, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
- कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल का इस्तीफा।
- मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
डॉक्टरों का कहना है कि जब तक इन मांगों को पूरा नहीं किया जाता, वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। उनका यह भी कहना है कि वे न्याय चाहते हैं, मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं।
इस बीच, जूनियर डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट के काम पर लौटने के निर्देश को अनदेखा करते हुए अपनी हड़ताल जारी रखी है, जिससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पूरे मामले पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह जनता के हित में इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता न्याय दिलाना है, न कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहना। उन्होंने डॉक्टरों के हड़ताल को राजनीतिक रंग दिए जाने का आरोप लगाया और कहा कि कुछ लोग न्याय नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करना चाहते हैं।
ममता बनर्जी ने कहा, “मैं मुख्यमंत्री पद नहीं चाहती, मैं सिर्फ लोगों को न्याय दिलाना चाहती हूं। यदि लोग चाहेंगे, तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं।” उन्होंने विरोध प्रदर्शनों को लेकर कहा कि यह आंदोलन राजनीतिक रूप से प्रेरित हो सकता है और इसका असली मकसद उनकी सरकार को गिराना है, न कि बलात्कार पीड़िता को न्याय दिलाना।
बातचीत का प्रयास और विफलता
मुख्यमंत्री के साथ बातचीत करने के लिए जूनियर डॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य सचिवालय में पहुंचा था। हालांकि, यह बैठक उस समय असफल हो गई, जब डॉक्टरों ने लाइव स्ट्रीमिंग की मांग की, जिसे सरकार ने ठुकरा दिया। सरकार का कहना था कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और सीबीआई इसकी जांच कर रही है, इसलिए लाइव स्ट्रीमिंग संभव नहीं है।
ममता बनर्जी ने इसके बाद कहा कि उन्होंने हर संभव प्रयास किया कि डॉक्टरों के साथ बातचीत हो सके, लेकिन कुछ राजनीतिक तत्व बातचीत में बाधा डाल रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी और बातचीत के लिए दरवाजे खुले रहेंगे।
हड़ताल का प्रभाव
इस हड़ताल का राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर पड़ा है। रिपोर्टों के अनुसार, अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 700,000 लोग प्रभावित हुए हैं, जिन्हें समय पर चिकित्सा सेवाएं नहीं मिल पाई हैं। हालाँकि, वरिष्ठ डॉक्टरों ने आपातकालीन सेवाएं जारी रखी हैं, लेकिन हड़ताल के कारण नियमित स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि वे न्याय मिलने तक अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं रखते, बल्कि उनका उद्देश्य केवल न्याय पाना है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
इस घटना के बाद राज्य की राजनीति भी गर्म हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और वामपंथी दलों ने ममता बनर्जी की सरकार पर इस मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इन विरोध प्रदर्शनों को भाजपा और वामपंथी दलों की साजिश करार दिया है, जिनका उद्देश्य उनकी सरकार को अस्थिर करना है।
निष्कर्ष
यह पूरा मामला पश्चिम बंगाल में प्रशासनिक और राजनीतिक संकट को उजागर करता है। जहां एक तरफ डॉक्टर न्याय की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी ने इस्तीफा देने की पेशकश की है, जिससे राज्य की राजनीति और भी उलझ गई है। अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच कैसे समझौता होता है और राज्य में सामान्य स्थिति कब तक बहाल होती है।