कारगिल विजय दिवस

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कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु यह दिवस मनाया जाता है।

कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है ताकि ऑपरेशन विजय में भाग लेने वाले सैनिकों के गर्व और वीरता को फिर से जीवित किया जा सके। यह दिन भारतीय सैनिकों की उस जीत को चिन्हित करता है जब उन्होंने 26 जुलाई, 1999 को पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ते हुए टाइगर हिल और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों को फिर से अपने कब्जे में ले लिया।

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई दिनों तक सैन्य संघर्ष चलता रहा। इतिहास के अनुसार, दोनों देशों द्वारा किए गए परमाणु परीक्षणों के कारण तनाव और भी बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के प्रयास में, दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस घोषणा पत्र में कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था। हालांकि, पाकिस्तान ने इस वादे का उल्लंघन करते हुए अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजना शुरू कर दिया, जिसे “ऑपरेशन बद्र” का नाम दिया गया। इस घुसपैठ का मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान का मानना था कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने में मदद मिलेगी।

प्रारंभ में इसे मामूली घुसपैठ माना गया और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन नियंत्रण रेखा पर गहन जांच के बाद इन घुसपैठियों की नियोजित रणनीति का पता चला, जिससे भारतीय सेना को एहसास हुआ कि हमले की योजना बड़े पैमाने पर बनाई गई थी। इसके बाद भारत सरकार ने “ऑपरेशन विजय” के तहत 2,00,000 सैनिकों को कारगिल क्षेत्र में भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस संघर्ष के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और लगभग 1400 सैनिक घायल हुए। यह युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला

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