भारत की पैरा-शूटर अवनी लेखरा ने एक बार फिर से इतिहास रचते हुए पैरालंपिक में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक अपने नाम किया। महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (SH1) प्रतियोगिता में अवनी ने 249.7 अंकों के साथ स्वर्ण पदक जीता, जिससे उन्होंने अपना ही पिछला पैरालंपिक रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस स्वर्णिम दिन पर, भारत ने कुल चार पदक जीते, जिनमें प्रीति पाल का ट्रैक इवेंट में ऐतिहासिक ब्रॉन्ज और मनीष नरवाल और मोना अग्रवाल के शूटिंग में रजत और कांस्य पदक शामिल हैं।
अवनी लेखरा का स्वर्णिम सफर
चैतोरो, फ्रांस में हो रहे पैरालंपिक खेलों के दूसरे दिन अवनी ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (SH1) प्रतियोगिता में जबरदस्त प्रदर्शन किया। 249.7 अंकों के साथ उन्होंने न केवल स्वर्ण पदक जीता, बल्कि उन्होंने अपने ही पिछले पैरालंपिक रिकॉर्ड को भी तोड़ा, जो उन्होंने 2021 टोक्यो पैरालंपिक में स्थापित किया था। इस प्रतियोगिता में कोरिया की ली युनरी 246.8 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं, जबकि भारत की ही मोना अग्रवाल ने 228.7 अंकों के साथ कांस्य पदक जीता। इस शानदार प्रदर्शन ने पहली बार भारत को एक ही स्पर्धा में दो पदक दिलाए।
अवनी का यह स्वर्ण पदक उन्हें पैरालंपिक में लगातार दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बना देता है। उनकी इस सफलता के पीछे एक लंबी और कठिन यात्रा है। मार्च में उनकी गॉलब्लैडर सर्जरी हुई थी, जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ा और उन्हें डेढ़ महीने तक अभ्यास से दूर रहना पड़ा। इसके बावजूद, उन्होंने करणी सिंह शूटिंग रेंज में कड़ी मेहनत करके अपनी ताकत और मानसिक दृढ़ता को पुनः प्राप्त किया और पैरिस पैरालंपिक के लिए खुद को तैयार किया।
अवनी का कहना था, “यह बहुत करीबी मुकाबला था। पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के बीच बहुत कम अंतर था। मैंने अपने विचारों पर ध्यान केंद्रित किया और परिणाम की चिंता नहीं की। मैं खुश हूं कि इस बार भी भारतीय राष्ट्रगान सबसे पहले खेला गया। मेरे पास अभी भी दो और मैच हैं, और मैं देश के लिए और पदक जीतने पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं।”
अवनी का पैरा-शूटर बनने का सफर मात्र 11 साल की उम्र में शुरू हुआ था, जब एक कार दुर्घटना के कारण उनकी कमर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। SH1 श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने वाली अवनी ने फाइनल में असाधारण संयम और कौशल का प्रदर्शन किया। वह ली युनरी से मात्र कुछ अंकों से पीछे थीं, लेकिन ली के अंतिम शॉट में गलती होने के कारण अवनी ने 10.5 का सटीक शॉट लगाकर स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।
प्रीति पाल का ऐतिहासिक ब्रॉन्ज
इस दिन भारत के लिए एक और ऐतिहासिक क्षण तब आया जब प्रीति पाल ने महिलाओं की 100 मीटर (T35) स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। यह भारत के लिए पैरालंपिक के ट्रैक इवेंट में पहला पदक था। प्रीति ने 14.21 सेकंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय निकालते हुए यह उपलब्धि हासिल की। T35 श्रेणी में ऐसे एथलीट्स शामिल होते हैं जिनके पास समन्वय में कठिनाई होती है, जैसे कि हाइपरटोनिया, एटैक्सिया और एथेटोसिस।
प्रीति का सफर भी किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक किसान परिवार से आने वाली प्रीति के जन्म के बाद से ही उनके पैरों में कमजोरी थी। उनके पैर इतने कमजोर थे कि जन्म के बाद छह दिन तक उनके पैरों पर प्लास्टर चढ़ा रहा। उनके पैरों की अनियमित मुद्रा और कमजोरी ने उन्हें कई बीमारियों का शिकार बना दिया। लेकिन उनके परिवार ने कभी हार नहीं मानी और पारंपरिक उपचारों के माध्यम से प्रीति के पैरों को मजबूत करने का प्रयास जारी रखा। पांच साल की उम्र से प्रीति को कैलिपर्स पहनने पड़े, जिन्हें उन्होंने आठ साल तक पहना।
मनीष नरवाल और मोना अग्रवाल का उत्कृष्ट प्रदर्शन
पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) प्रतियोगिता में मनीष नरवाल ने भारत के लिए रजत पदक जीता। मनीष ने 234.9 अंक हासिल किए और स्वर्ण पदक से चूक गए। टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले मनीष ने इस बार पैरिस में भी स्वर्ण पदक की ओर बढ़ते हुए शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन अंतिम क्षणों में ‘9’ के स्कोर के कारण उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।
वहीं, महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (SH1) प्रतियोगिता में अवनी के साथ मोना अग्रवाल ने भी शानदार प्रदर्शन किया। मोना ने 228.7 अंक हासिल कर कांस्य पदक जीता, जो उनके पैरालंपिक करियर का पहला पदक है। राजस्थान के सीकर की रहने वाली मोना बचपन में पोलियो का शिकार हो गई थीं, जिससे उनके पैरों में कमजोरी आ गई थी। लेकिन मोना ने अपने जज्बे को कमजोर नहीं होने दिया और उन्होंने शॉट पुट, पावरलिफ्टिंग, और व्हीलचेयर वॉलीबॉल जैसे विभिन्न खेलों में भाग लेकर खुद को साबित किया। आखिरकार, उन्होंने शूटिंग में अपना करियर बनाया और पैरालंपिक में पदक जीतने में सफलता हासिल की।
अन्य खेलों में भी शानदार प्रदर्शन
भारत के अन्य खिलाड़ी भी पैरिस पैरालंपिक में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। नितेश कुमार ने पैरा बैडमिंटन में चीन के यांग जियानयुआन को सीधे सेटों में हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। नितेश ने अपने ग्रुप ए के दूसरे पुरुष सिंगल्स SL3 मैच में 21-5, 21-11 के स्कोर के साथ शानदार जीत हासिल की। SL3 श्रेणी में उन खिलाड़ियों को शामिल किया जाता है जिनके निचले अंगों में गंभीर विकलांगता होती है, और यह खेल आधे चौड़े कोर्ट पर खेला जाता है।
वहीं, अनुभवी तीरंदाज राकेश कुमार ने कंपाउंड पुरुषों के ओपन वर्ग के प्री-क्वार्टरफाइनल में सेनेगल के अलीउ ड्रामे को 136-131 से हराकर अपनी जीत की शुरुआत की। राकेश ने अपने अनुभवी खेल का प्रदर्शन करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी को मात दी।
सिनेमा जगत की शुभकामनाएं
भारत के इन अद्वितीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर सिनेमा जगत के कई सितारों ने बधाई दी। करीना कपूर, आयुष्मान खुराना, सोनाली बेंद्रे और सोनू सूद जैसे मशहूर सितारों ने सोशल मीडिया पर भारतीय पैरालंपिक खिलाड़ियों की तारीफ की। आयुष्मान खुराना ने इसे “भारत के लिए पैरालंपिक में एक अद्भुत दिन” बताया।
भारत के लिए पैरिस पैरालंपिक का यह दिन अविस्मरणीय रहा, जहां अवनी लेखरा, मनीष नरवाल, मोना अग्रवाल और प्रीति पाल ने अपने अद्वितीय प्रदर्शन से देश को गौरवान्वित किया। इन खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत और समर्पण ने यह सिद्ध कर दिया है कि कठिनाइयों को पार करते हुए भी एक मजबूत इच्छाशक्ति और दृढ़ता से बड़े सपने हासिल किए जा सकते हैं।