ISRO क्यों नहीं मदत कर सकता सुनीता विलियम्स की? NASA और SpaceX ने संभाली जिम्मेदारी”

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने बताया कि भारत, सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर जैसे अंतरिक्ष यात्रियों के बचाव मिशन का नेतृत्व क्यों नहीं कर सकता। इस चर्चा में उन्होंने ISRO की मौजूदा क्षमताओं और अंतरिक्ष बचाव अभियानों की जटिलताओं पर प्रकाश डाला।

ISRO की मौजूदा क्षमताएं और चुनौतियां

एस. सोमनाथ ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान में ISRO के पास वह तकनीकी क्षमता और संसाधन नहीं हैं जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुंचकर वहां फंसे हुए अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस ला सके। उन्होंने कहा, “अभी, हमारे पास ऐसा कोई अंतरिक्षयान नहीं है जो वहां जाकर उन्हें बचा सके। यह संभव नहीं है।” इस बयान से स्पष्ट होता है कि अंतरिक्ष बचाव मिशन जैसी जटिल परियोजनाओं के लिए भारत को अभी और विकास की आवश्यकता है।

सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर की स्थिति

NASA ने सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर को ISS से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को चुना है। ये दोनों अंतरिक्ष यात्री बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल के जरिए ISS पर पहुंचे थे, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण उनका मिशन आठ दिनों के बजाय 78 दिनों से भी अधिक लंबा हो गया। अब NASA ने यह निर्णय लिया है कि ये अंतरिक्ष यात्री फरवरी 2025 में स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन अंतरिक्षयान के जरिए पृथ्वी पर लौटेंगे।

बोइंग स्टारलाइनर की तकनीकी समस्याएं

सोमनाथ ने बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल के सामने आई तकनीकी समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि स्टारलाइनर में कई बार देरी हुई और इसके बाद भी लॉन्च करने पर यह कैप्सूल अपने मिशन के दौरान विभिन्न तकनीकी मुद्दों से जूझता रहा। इनमें सबसे प्रमुख मुद्दे थे थ्रस्टर की खराबी और हीलियम लीक होना। इन समस्याओं के कारण स्टारलाइनर को सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पृथ्वी पर वापस लाना संभव नहीं हो पाया।

NASA ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह निर्णय लिया कि स्टारलाइनर को बिना किसी क्रू के वापस भेजा जाएगा, ताकि इसके तकनीकी मुद्दों का विश्लेषण किया जा सके और भविष्य में सुधार किया जा सके। यह कदम दिखाता है कि अंतरिक्ष मिशनों में सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है, चाहे इसके लिए कितनी भी तैयारी क्यों न करनी पड़े।

स्पेसएक्स और NASA का सहयोग

NASA ने स्पेसएक्स के क्रू-9 मिशन में बदलाव किया है, जिसमें अब चार की बजाय दो अंतरिक्ष यात्री ही भेजे जाएंगे। इससे सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर के लिए भी जगह बनाई जा सकेगी, ताकि वे सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौट सकें। यह निर्णय NASA और स्पेसएक्स के बीच मजबूत सहयोग को दर्शाता है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।

बोइंग के लिए बड़ी चुनौती

यह घटनाक्रम बोइंग के लिए एक और बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है। बोइंग, जो पहले से ही सुरक्षा और गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों का सामना कर रही है, इस मिशन में आई समस्याओं के कारण और भी अधिक दबाव में आ गई है। हालांकि, NASA ने बोइंग के प्रति अपना विश्वास जताया है और उम्मीद की है कि कंपनी अपने स्टारलाइनर कैप्सूल को भविष्य में क्रू के साथ सफलतापूर्वक लॉन्च करेगी। NASA के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा, “मैं 100 प्रतिशत निश्चित हूं कि बोइंग स्टारलाइनर को फिर से क्रू के साथ लॉन्च करेगा।”

अंतरिक्ष यात्रियों की तैयारी और समर्थन

सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर, जो अब आधिकारिक तौर पर एक्सपेडिशन 71/72 क्रू का हिस्सा बन गए हैं, ने इस निर्णय का पूरा समर्थन किया है। ISS पर उनके लिए सभी आवश्यक सामग्री मौजूद है और दोनों अंतरिक्ष यात्री लंबे मिशनों के लिए प्रशिक्षित हैं। NASA ने भी इस बात की पुष्टि की है कि दोनों अंतरिक्ष यात्री इस निर्णय को समझते हैं और जानते हैं कि अंतरिक्ष मिशनों में सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होती है।

भविष्य की दिशा

आने वाले महीनों में NASA और स्पेसएक्स का मुख्य ध्यान सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर की सुरक्षित वापसी पर होगा। दूसरी ओर, बोइंग स्टारलाइनर के मुद्दों को सुलझाने और भविष्य के मिशनों के लिए इसे सुरक्षित बनाने में जुटी रहेगी। यह घटनाक्रम अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों और सरकारी एजेंसियों के बीच सहयोग की महत्ता को रेखांकित करता है।

इस पूरी प्रक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि अंतरिक्ष अन्वेषण में तकनीकी विशेषज्ञता, सुरक्षा, और सहयोग कितना महत्वपूर्ण है। भारत जैसे देशों के लिए, जो अंतरिक्ष क्षेत्र में उभरते हुए हैं, यह एक प्रेरणा है कि वे अपनी तकनीकी क्षमताओं को और अधिक विकसित करें ताकि भविष्य में वे भी अंतरिक्ष बचाव मिशनों जैसे जटिल अभियानों का हिस्सा बन सकें।

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